भाजपा बहु प्रतीक्षित संगठन का चुनाव आखिरी पड़ाव में है। जिला स्तर पर रायशुमारी हो चुकी है। एक दो दिन के भीतर जिला अध्यक्ष की घोषणा होनी है। इसके बाद प्रदेश का मुखिया सामने आएगा। प्रदेश अध्यक्ष को लेकर भी उठापटक जारी है।
रीवा जिले में साढ़े चार साल बाद नए जिला अध्यक्ष के लिए रायशुमारी की गई है। वर्तमान भाजपा जिला अध्यक्ष डॉ. अजय सिंह पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि वे रिपीट होंगे।

इतना ही नही उन्होने रायशुमारी के समय ताल भी ठोंका कि सभी मंडल के अध्यक्ष मेरे है वे मेरे लिए ही अपनी राय देगेे। अजय सिंह अपने को अध्यक्ष न बना पाने की स्थिति प्रज्ञा त्रिपाठी के लिए लॉबिंग की है। अजय का कार्यकाल साढ़े चार साल का हो गया है।
पार्टी की गाइडलाइन
पार्टी की गाइडलाइन पर अमल हुआ तो भाजपा जिला अध्यक्ष अजय सिंह आउट हो जाएंगे। नए अध्यक्ष को लेकर वैश्य समाज से वीरेंद्र गुप्ता का नाम चर्चाओं में है। लेकिन यह रीवा है यह कब किसको ताज पहना दिया जाए कोई नहीं जानता। इसके जीते जागते उदाहरण खुद वर्ष 2020 में बने अध्यक्ष अजय सिंह है जिन्हे कोई नही जानता था कि वह इस पद पर आसीन हो जाएंगे।
यह भी सच है कि अध्यक्ष बनवाने में पूरा दामोदर डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल और सांसद जनार्दन मिश्रा पर है लेकिन संगठन किसकी सुनता हैं यह अभी पता नहीं।
उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल की मूक सहमति वीरेंद्र गुप्ता पर ?

हालांकि डिप्टी सीएम सार्वजनिक रूप से अपना पत्ता नहीं खोला है। अफवाहों पर जाएं तो उनकी मूक सहमति पूर्व महापौर वीरेंद्र गुप्ता पर जरूर है। जबकि सांसद नाक सिकोड रहे हैं।
अजय सिंह और वीरेंद्र गुप्ता की रणनीतिक सेटिंग
बीडी शर्मा की पसंद अजय सिंह है। उनकी तोड यहां वीरेद्र गुप्ता को माना गया है। वीरेंद्र गुप्ता वर्ष 2004 में रीवा से महापौर हुए थे। वे भाजपा के जिला एवं प्रदेश में भी विभिन्न पदों में रहे। ऐसा माना जा रहा है उनकी पकड़ भोपाल तक है। लेकिन खबर यह भी है कि अजय सिंह से भी वीरेंद्र गुप्ता की सेटिंग हुई है कि हम नहीं तो आप।

उधर अजय सिंह अपने बाद प्रज्ञा त्रिपाठी को सामने करेंगे।
सांसद जनार्दन मिश्रा की चुप्पी और प्रबोध व्यास को प्राथमिकता

सांसद जनार्दन मिश्रा इस पूरे सांगठनिक चुनाव में अपना मुंह बंद कर लिया है। रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा की पहली पसंद प्रबोध व्यास हैं। जिला अध्यक्ष कौन होगा जब तक घोषणा नही हो जाती कुछ नही कहा जा सकता। क्योंकि रीवा भाजपा जिला अध्यक्ष को लेकर अंतिम तक द्वंद्व होगा।
जातीय समीकरण के साथ महिला नेतृत्व की संभावनाएँ

अजय सिंह पिछड़ा वर्ग से है उनकी काट के लिए महिला मोर्चा की पूर्व जिला अध्यक्ष व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष माया सिंह पटेल उमाशंकर पटेल, विभा पटेल, अनिल पटेल को लाया गया हैं।

पूर्व जिला पंचायत सदस्य अंजू मिश्रा, मनीष पाठक, विमलेश मिश्र जैसे महिला नेत्री भाजपा की अध्यक्ष बनने की चाहत रखती हैं।
राजगोपाल चारी – समर्थन और सियासी धोखा

राजगोपाल चारी भी इस बार सांसद और डिप्टी सीएम को अपने फेवर में लेकर अध्यक्ष बनने की मंशा जाहिर की। लेकिन चारी के इर्द गिर्द रहने वाले ही दरबारी ही उनको दगा दे गए।
संगठन चुनाव में उम्र सीमा और पार्टी गाइडलाइन्स की परीक्षा
अब इस पूरे संगठन के चुनाव में यह बात भी महत्वपूर्ण है कि पार्टी अपनी गाइड लाइन पर कितनी कायम रहती है। एक तो 60 की उम्र का जो मामला आया है उसमें भी चर्चा हैं।
रीवा-मऊगंज रायशुमारी: दिखावा या निर्णायक कदम?
शुक्रवार को रीवा और मऊगंज में रायशुमारी हो गई। रायशुमारी को लेकर लोग कहते हैं कि वर्तमान जिला अध्यक्ष का पलड़ा भारी है लेकिन यह रायशुमारी बहुत प्रभावी नहीं होती। यह तो मात्र एक औपचारिकता के साथ दिखावा है। रायशुमारी के बाद डिप्टी सीएम और सांसद से पूछ परख की जा सकती है। संगठन इसमें क्या निर्णय लेता है। इस पर अभी विचार होना बाकी है।
वैश्य समाज को नेतृत्व का मौका
हालांकि इस बार वैश्य समाज को नेतृत्व मिलने की उम्मीद ज्यादा है क्योंकि रीवा संभागीय मुख्यालय है। वर्ष 2018 में कांग्रेस की सरकार बन गई थी लेकिन विंध्य ने कमल को ही चुना था। वर्ष 2023 में भी भाजपा की सीटें विंध्य में बढीं और अभी वैश्य के हाथ भाजपा का कोई बड़ा पद यहां नही है इसलिए इसका फायदा वैश्य समाज को मिलना संभावित है। रायशुमारी में रीवा में सभी विधायक एक सुर में नही दिखे।


