नगर निगम सर्वे खुलासा, असलियत सामने आने पर मचा हडकंप
रीवा।
देश के सबसे बड़े गरीबोन्मुखी अभियान प्रधानमंत्री आवास योजना का हाल रीवा नगर पालिक निगम की जांच ने खोलकर रख दिया है। गरीबों के लिए बने घर अमीरों और अपात्रों की झोली में कैसे गिर गए हाल ही में हुई जांच में करीब 50 प्रतिशत आवास अपात्रों के नाम पर पाए गए हैं। नोटिस जारी हुए हैं पर सवाल ये है कि क्या ये नोटिस महज़ कागज़ी कार्रवाई बनकर रह जाएंगे या दोषियों को वाकई दंड मिलेगा। नगर निगम आयुक्त डां सौरव सोनवणे ने कहा है कि अपात्रों एवं किराएदारों को नोटिस जारी किया है।
जो जांच चल रही है उसमे साफ हो चुका है कि आवास आवंटन में जमकर गड़बड़ी हुई। अधिकारियोंण्कर्मचारियों ने सिफारिशों और पैसों की ताकत पर बिना रिकॉर्ड देखे बिना जांच किए मकान बांट दिए। नगर निगम का काम गरीब को छत दिलाना था लेकिन यहां तो भ्रष्टाचार की छतरी तान दी गई।
जनता उठा रही सवाल
आवास का हक छीनने वालों पर क्या कार्रवाई होगी।
आवंटन करने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होगी या नहीं।
किसके दबाव में गरीबों का हक छीना गया।
कमेटी बने और बड़ी जांच हो।

जनता पूछ रही है कि इस खेल में शामिल हर अफसर और कर्मचारी की अकूत संपत्ति की भी जांच होनी चाहिए। यह घपला कोई साधारण गलती नहीं है बल्कि गरीब के सपने और उसके हक की हत्या है।
सरकार की नीयत पर सवाल
सरकार दावा करती है कि गरीब को ऊपर उठाना चाहती है। लेकिन जब योजनाओं का लाभ उन तक नहीं पहुँच रहा तो जिम्मेदार कौनघ् क्या सरकार सिर्फ योजना बना देने से मुक्त हो जाती है। अगर आवास जैसी बुनियादी योजना पर ही डाका पड़ रहा है तो बाकी योजनाओं का क्या होगा।
गरीबों के लिए चल रही प्रमुख योजनाएं
- प्रधानमंत्री आवास योजना – हर गरीब परिवार को पक्का मकान देने का वादा।
- अंत्योदय अन्न योजना – बीपीएल परिवार को सस्ते दर पर अनाज उपलब्ध कराना।
- प्रधानमंत्री जन धन योजना – हर गरीब परिवार का बैंक खाताए सब्सिडी और लाभ सीधा खाते में।
- आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना – 5 लाख तक मुफ्त इलाज की सुविधा।
- उज्ज्वला योजना – गरीब महिला को गैस कनेक्शन।
सिस्टम पर सवालिया निशान
यह घोटाला सिर्फ रीवा का नहीं बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल है। गरीब के नाम पर सरकार वोट मांगती है, योजनाएं बनती हैं बजट आता है। लेकिन हकीकत में गरीब लाइन में खड़ा रह जाता है और उसका हिस्सा अमीरों के पेट में चला जाता है।
अगर वाकई सरकार की नीयत साफ है तो सिर्फ नोटिस नहीं सख्त कार्रवाई करनी होगी। वरना यह साबित होगा कि गरीब केवल भाषणों और चुनावी पोस्टरों में ही जिंदा है।


