टेक्नोलॉजी कंपनी में अमानवीय व्यवहार? Altruist Technologies Indore पर कर्मचारियों ने लगाए आरोप

मध्यप्रदेश के सबसे विकसित शहर इंदौर में स्थित Altruist Technologies Pvt. Ltd. नामक टेलीकॉम सपोर्ट कंपनी पर कर्मचारियों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोप है कि कंपनी में काम करने वाले सैकड़ों युवा कर्मचारियों को जबरदस्ती ओवरटाइम कराया जा रहा है, मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है और उनके साथ अमानवीय व्यवहार हो रहा है।
यह कंपनी एयरटेल ब्लैक और अन्य टेलीकॉम सेवाओं के लिए सपोर्ट सिस्टम चलाती है, लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें कस्टमर सर्विस के अलावा अब सेल्स टारगेट और प्लान बेचने का दबाव भी झेलना पड़ रहा है।
इंदौर की नामी टेलीकॉम सपोर्ट कंपनी Altruist Technologies Pvt. Ltd. पर कर्मचारियों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। ये आरोप केवल ओवरटाइम, भेदभाव और मानसिक उत्पीड़न तक सीमित नहीं, बल्कि कंपनी द्वारा जबरन टर्मिनेशन कर देने और फिर महीनों तक सैलरी रोक देने जैसे क्रूर व्यवहार तक फैले हुए हैं।
काम करो वरना शिफ्ट बदली जाएगी या नौकरी से निकाले जाओगे
कर्मचारियों का आरोप है कि ऑफिस में काम के लिए पर्याप्त सिस्टम नहीं होते। कई बार सिस्टम न मिलने पर लोग बिना काम किए लौट जाते हैं, और बाद में बताया जाता है कि अब उनकी शिफ्ट रात की होगी.
कर्मचारियों का कहना है कि
उन्हें बिना सूचना के टारगेट बदल दिया जाता है, सिस्टम की कमी के कारण उन्हें दिनभर खाली बैठना पड़ता है, और अधिकारियों द्वारा मानसिक दबाव बनाकर छुट्टियों पर भी बुलाया जाता है।
नाम न छापने की शर्त पर कर्मचारियों ने बताया कि –
कंपनी के अधिकारी कौशिक चक्रवर्ती, गौरव झारिया और बालमुकुंद वर्मा, AM ऐश्वर्या सोनी लगातार धमकी देते हैं, अगर तुम टारगेट नहीं पूरा करोगे तो तुम्हारा करियर खराब कर देंगे। हम लोग घर से दूर रहकर यहां काम कर रहे हैं। लेकिन अगर किसी को टर्मिनेट किया जाता है, तो उसकी 2 से 4 महीने तक की सैलरी रोक दी जाती है, बिना यह सोचें कि उस एजेंट का महीने का किराया, राशन और जीवन कैसे चलेगा।
टर्मिनेशन के बाद सैलरी रोकना: कानूनी अपराध?

कर्मचारी बताते हैं कि जब किसी को नौकरी से निकाला जाता है, तो उसकी बकाया सैलरी तुरंत नहीं दी जाती। कभी-कभी 3 से 4 महीने तक भी इंतजार कराया जाता है, और कोई सुनवाई नहीं होती। यह न सिर्फ अमानवीय है, बल्कि भारत के वेतन भुगतान अधिनियम, 1936 और Code on Wages, 2019 के खिलाफ भी है, जिसके अनुसार: टर्मिनेशन के 2 कार्य-दिन के भीतर सभी बकाया भुगतान होना अनिवार्य है।
मानसिक और शारीरिक शोषण की श्रृंखला
तनाव, नींद की कमी, टारगेट का दबाव सब मिलकर कर्मचारियों के जीवन को मानसिक बीमारियों की ओर धकेल रहे हैं। 2024 में दर्ज आंकड़ों के अनुसार, कॉल सेंटर उद्योग में कार्यरत हर 3 में से 2 कर्मचारियों ने burnout और anxiety की शिकायत दर्ज की।
विरोध की तैयारी: कर्मचारियों का सब्र अब खत्म
अब कई कर्मचारी Altruist Technologies Pvt. Ltd. के खिलाफ खुलकर धरना प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक कंपनी मानसिक, आर्थिक और कानूनी शोषण पर रोक नहीं लगाएगी, वे चुप नहीं बैठेंगे।
जब एक एजेंट अपना घर छोड़कर, हजारों रुपये खर्च कर एक शहर में जीवन शुरू करता है, तो वह उम्मीद करता है कि उसे एक सम्मानजनक काम और सुरक्षित माहौल मिलेगा। लेकिन यदि उसे भेदभाव, उत्पीड़न, जबरन शिफ्ट, और आखिर में सैलरी रोके जाने का सामना करना पड़े, तो यह न केवल मानवाधिकार का उल्लंघन है, बल्कि कानून और व्यवस्था पर भी सवाल है।
राजनीति और चुप्पी की साठगांठ
मजदूर कानूनों की धज्जियाँ उड़ रही हैं, और कर्मचारी आत्महत्या जैसे विचारों से गुजर रहे हैं, फिर भी न श्रम विभाग जाग रहा है, न मंत्री।
केंद्रीय संचार मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को इस विषय पर जवाब देना होगा कि कैसे एयरटेल जैसी कंपनियों से जुड़े आउटसोर्सिंग पार्टनर, ज़मीनी कर्मचारियों का शोषण कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, कंपनियों के उच्च अधिकारी स्थानीय नेताओं से साठगांठ कर लेते हैं, जिससे किसी की आवाज़ ना उठे।
एक सवाल उठता है:
क्या सरकार, नेता, श्रम विभाग और कंपनियों की अंतरात्मा अब भी नहीं जागेगी?
क्या चाहिए अब?
- जांच आयोग: Altruist Technologies जैसी कंपनियों पर तुरंत जांच
- कर्मचारियों की हेल्पलाइन- टेलीकॉम कर्मचारियों के लिए शिकायत प्रणाली
- मानसिक स्वास्थ्य सपोर्ट – हर ऑफिस में अनिवार्य काउंसलिंग
- सरकारी संज्ञान – केंद्रीय संचार मंत्रालय को खुली अपील
सरकार, श्रम विभाग और टेलीकॉम मंत्रालय को इस पर तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि कर्मचारियों को न्याय मिल सके।


