कटनी का दम तोड़ता मार्बल उद्योग: रॉयल्टी और जीएसटी की मार से 90% खदानें बंद
रॉयल्टी और टैक्स की मार से चरमराया उद्योग

कभी कटनी की आर्थिक पहचान रहा मार्बल उद्योग आज गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है। जिले में संगमरमर खनन की शुरुआत 1998 में जिला बनने के बाद बहोरीबंद-स्लीमनाबाद क्षेत्र से हुई थी। 1999 में इस उद्योग ने रफ्तार पकड़ी और 2010 तक चरम पर पहुंच गया। कटनी का मार्बल दुबई तक निर्यात हुआ और जिले को वैश्विक पहचान दिलाई।

लेकिन बीते डेढ़ दशक में सरकारी उपेक्षा, रॉयल्टी की विसंगतियाँ और पर्यावरणीय अड़चनों ने इस चमकते उद्योग को लगभग समाप्ति की कगार पर पहुंचा दिया है।
रॉयल्टी ज्यादा, मार्बल सस्ता
राजस्थान में जहां रॉयल्टी दर ₹900 प्रति क्यूबिक मीटर है, वहीं कटनी में यह ₹1200 प्रति क्यूबिक मीटर है। पहले जहां 5% जीएसटी लागू थी, अब इसे बढ़ाकर 18% कर दिया गया है। यह दरें ब्लॉक और स्लैब दोनों पर लागू होती हैं।
उद्योग से जुड़े व्यापारियों के अनुसार, औसत गुणवत्ता के मार्बल और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच इतनी उच्च दरें आर्थिक रूप से टिक पाना मुश्किल बना रही हैं।
2010 में थीं 60 खदानें, अब मात्र 10 सक्रिय

2010 तक जिले में 60 से अधिक मार्बल खदानें सक्रिय थीं। आज इनकी संख्या घटकर सिर्फ 10 रह गई है। अधिकांश खदानें या तो बंद हो चुकी हैं या बंद होने के कगार पर हैं।
उद्योग को झटका देने वाले प्रमुख कारण
- पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिलने से 10+ खदानें बंद।
- कई खदानों में खनिज गहराई में चला गया, जिससे कास्टिंग लागत बढ़ी।
- ग्राम निमास के खसरा 210 की 10–12 खदानों पर न्यायालयीय विवाद लंबित।
- सिंगल विंडो सिस्टम की कमी से प्रक्रिया में देरी, फाइलें भोपाल तक जाती हैं।
- अनावश्यक शिकायतों से व्यापारी असुरक्षित महसूस करते हैं।
कॉन्क्लेव से जागी उम्मीदें

कटनी में 23 अगस्त को प्रस्तावित माइनिंग कॉन्क्लेव को लेकर उद्योग जगत में उम्मीदें जगी हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केंद्र व राज्य के मंत्री, विशेषज्ञ और उद्यमी इस आयोजन में शामिल होंगे।
व्यापारियों का आग्रह है कि मार्बल खनन को “इंडस्ट्री” का दर्जा दिया जाए और इसे कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) से जोड़ा जाए।
खनिज उपसंचालक रत्नेश दीक्षित के अनुसार, “कॉन्क्लेव में रॉयल्टी सहित सभी समस्याएं रखी जाएंगी। उद्योग को फिर से गति देने के लिए क्या ठोस पहल हो सकती है, इस पर विचार होगा।
उद्योग को पुनर्जीवित करने की जरूरत
यदि सरकार नीति स्तर पर बदलाव लाती है और कारोबारी हितों की रक्षा करते हुए खनन प्रक्रिया को सरल बनाती है, तो कटनी का मार्बल उद्योग एक बार फिर अपनी खोई हुई चमक पा सकता है।


