रीवा।
शहर में सीवर लाइन बिछाने का काम जनता के लिए राहत देने की बजाय मुसीबत बन गया है। जिस परियोजना से स्वच्छता और सुविधा की उम्मीद थी, वही अब लोगों के लिए अभिशाप साबित हो रही है। पांच साल से अधिक समय से चल रहा यह काम न केवल धीमा है बल्कि लापरवाही और घटिया निर्माण का जीता-जागता उदाहरण भी बन गया है।
शहरवासियों को लगता है मानो सीवर लाइन के नाम पर जनता की परीक्षा ली जा रही हो। प्रशासन कब जागेगा, यह किसी को समझ नहीं आ रहा।
घटिया निर्माण और बिना निगरानी का काम
सीवर लाइन बिछाने वाली एजेंसी द्वारा इस्तेमाल की जा रही सीमेंट की गुणवत्ता पर कोई निगरानी नहीं है।
सड़क के नीचे तकनीकी मानकों की अनदेखी करते हुए सिर्फ डस्ट, रेत और मिट्टी भर दी जाती है। न कोई निरीक्षण, न कोई जवाबदेही। नतीजा यह कि सड़कें जगह-जगह से उखड़ी पड़ी हैं और लोग जान जोखिम में डालकर उन पर चलने को मजबूर हैं।
रेस्टोरेशन का नामोनिशान नहीं
सीवर लाइन खुदाई के बाद गड्ढों को समतल कर सड़क को पहले जैसी हालत में लाना रेस्टोरेशन कहलाता है। लेकिन रीवा में इस प्रक्रिया का कोई नामोनिशान नहीं है।
गड्ढे महीनों तक खुले पड़े रहते हैं, जिनसे दुर्घटना का खतरा लगातार बना रहता है। सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं को झेलनी पड़ रही है।
सुरक्षा और मानकों की अनदेखी
कार्यस्थल पर न तो बैरिकेड्स लगाए जाते हैं और न ही संकेतक बोर्ड। रात के अंधेरे में ये खुले गड्ढे मौत के कुएं बन जाते हैं। यह न केवल लापरवाही है बल्कि प्रशासनिक उदासीनता की भी स्पष्ट तस्वीर पेश करता है।
हर मोहल्ले का वही हाल
कोई एक मोहल्ला ऐसा नहीं बचा जहां सीवर लाइन बिछाने वाली एजेंसी ने अव्यवस्था और परेशानी न फैलाई हो। लोग तंग आ चुके हैं लेकिन सुनवाई कहीं नहीं हो रही। प्रशासन की चुप्पी इस भ्रष्ट तंत्र की सबसे बड़ी गवाही बन चुकी है।


