भोपाल।
भोपाल स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज के हमीदिया अस्पताल में हार्ट अटैक के मरीजों के लिए इलाज की एक नई और प्रभावी व्यवस्था की जा रही है। इस पहल का उद्देश्य मरीजों को “गोल्डन आवर” के भीतर इलाज देकर उनकी जान बचाने की संभावना को कई गुना बढ़ाना है। मेडिकल विशेषज्ञों के अनुसार, हार्ट अटैक आने के बाद शुरुआती 90 से 120 मिनट बेहद महत्वपूर्ण होते हैं।
इस अवधि में अगर मरीज को सही समय पर एंजियोप्लास्टी जैसी जरूरी चिकित्सा मिल जाए, तो दिल को होने वाला स्थायी नुकसान रोका जा सकता है।

चौंकाने वाली बात यह है कि अस्पताल में आने वाले हार्ट अटैक के मरीजों में से लगभग 50% की उम्र 49 साल से कम है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि अब यह बीमारी सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं रही, बल्कि युवा भी तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं।
अभी तक अस्पताल में मरीजों को जांच और इलाज के लिए एक विभाग से दूसरे विभाग तक ले जाना पड़ता था, जिससे कीमती समय नष्ट हो जाता था। उदाहरणस्वरूप, हाल ही में 37 वर्षीय एक युवक को समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण दिल की कुछ मांसपेशियों को स्थायी नुकसान हुआ।
इस समस्या को देखते हुए हमीदिया अस्पताल में एक नई नीति लागू की जा रही है, जो 15 अक्टूबर से प्रभाव में आएगी।

इसके तहत कार्डियोलॉजी विभाग और इमरजेंसी को एक ही फ्लोर पर लाया जाएगा, जिससे इलाज की प्रक्रिया तेज हो सकेगी। नई कैथलैब का ट्रायल 1 अक्टूबर से शुरू किया जाएगा।
इस योजना के तहत हार्ट अटैक के लक्षण दिखाई देने पर मरीज को सीधे कार्डियोलॉजी विभाग भेजा जाएगा। इसके लिए एम्बुलेंस सेवाओं और आसपास के अस्पतालों को जोड़ा जा रहा है, ताकि सूचना पहले ही कार्डियोलॉजी विभाग तक पहुंच जाए और इलाज की तैयारी पहले से हो सके। इसके अलावा, एक डॉक्टर हमेशा कार्डियोलॉजी विभाग में तैनात रहेगा और एक लिफ्ट को हार्ट पेशेंट्स के लिए आरक्षित किया जाएगा, जिससे मरीजों को तेजी से आवश्यक जांच और उपचार मिल सके।
गोल्डन आवर की अवधारणा के तहत यदि इलाज 90 से 120 मिनट के भीतर हो जाता है, तो दिल की मांसपेशियों को बचाया जा सकता है। अगली योजना के तहत दूरदराज के जिलों से आने वाले मरीजों को एम्बुलेंस में ही टीएनके-टीपीए इंजेक्शन दिए जाने की तैयारी की जा रही है, जिससे रास्ते में ही ब्लॉकेज को कम किया जा सके।
यह नई व्यवस्था हर साल अस्पताल में आने वाले 1200 से ज्यादा हार्ट अटैक मरीजों के लिए जीवनरक्षक साबित हो सकती है और युवाओं में बढ़ते दिल के रोगों को समय रहते काबू में लाने की दिशा में एक अहम कदम है।


