बिहार चुनाव परिणामों के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति में नई हलचल शुरू हो गई है। संकेत साफ हैं कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपनी टीम में बड़े पैमाने पर मंत्रिमंडलीय फेरबदल करने की तैयारी में हैं।
सरकार के दो वर्ष पूरे होने से पहले मंत्रियों का चार-पैरामीटर प्रदर्शन मूल्यांकन पूरा कर इसे केंद्रीय नेतृत्व को भेज दिया गया है।
सूत्रों का कहना है कि यह रिपोर्ट सरकार के ढांचे को 2028 विधानसभा चुनाव से पहले रीसेट करने का आधार बनेगी। चार पैरामीटर पर मंत्रियों का होगा मूल्यांकन। बीजेपी नेतृत्व ने मंत्रियों की परफॉर्मेंस को चार मुख्य आधारों पर परखा है।
1. सरकार–संगठन समन्वय क्षमता
2. विभागीय नवाचार और योजनाओं का क्रियान्वयन
3. जमीनी सक्रियता – जिले में उपस्थिति, जनसंवाद, चौपाल, विकास बैठकें
4. केंद्र व राज्य की प्रमुख योजनाओं विशेषकर विकसित भारत संकल्प यात्रा की सफलता
जिला स्तर पर मंत्रियों ने अपने प्रभार वाले इलाकों में कितना समय दिया यह फैक्टर इस बार सबसे अहम बताया जा रहा है। चार सीटें खाली, इसलिए नए चेहरों की एंट्री लगभग तय माना जा रहा है।
31 सदस्यीय मंत्रिमंडल में फिलहाल 4 पद खाली हैं। अनुमान है कि फेरबदल और संभावित विस्तार के जरिए।
सरकार क्षेत्रीय संतुलन को और मजबूत करेगी, 2028 के चुनाव के लिए नई टीम खड़ी की जाएगी। कुछ मौजूदा मंत्री संगठन में भेजे जा सकते हैं, और कुछ नए चेहरे मंत्रिमंडल में शामिल होंगे।
विधायकों की भी होगी कठोर समीक्षा
मंत्रियों के साथ-साथ विधायक भी समीक्षा के दायरे में हैं। उनसे अपने क्षेत्र के लिए चार साल का विकास रोडमैप मांगा गया है। विधायक निधि का उपयोग, क्षेत्रीय समस्याओं पर फॉलो-अप, जनसंपर्क व संगठनात्मक सक्रियता रिपोर्ट में शामिल बिंदु हैं।
मुख्यमंत्री को यह रिपोर्ट जल्द सौंपी जाएगी, जिससे साफ है कि यह प्रक्रिया सिर्फ मंत्रिमंडल तक सीमित नहीं रहेगी। मोहन यादव बोले समीक्षा स्वाभाविक, निर्णय पार्टी लेगी। कैबिनेट फेरबदल पर पूछे गए सवाल पर सीएम डॉ. मोहन यादव ने संकेत देते हुए कहा। हमारी पार्टी बारीकी से समीक्षा करती है। लगभग दो वर्ष हो रहे हैं, तो समीक्षा स्वाभाविक है। पार्टी जैसा निर्णय लेगी, हम उसके साथ हैं। उनके इस बयान को राजनीतिक हलकों में फेरबदल की अप्रत्यक्ष पुष्टि के रूप में देखा जा रहा है।
गुजरात फॉर्म्यूला एमपी में भी?
बीजेपी सूत्रों का दावा है कि पार्टी मध्य प्रदेश में भी गुजरात फॉर्म्यूला लागू करने पर विचार कर रही है। इसके तहत वरिष्ठ विधायकों को फिर से मौका दिए जा सकता है।
कमज़ोर परफॉर्मेंस वाले मंत्रियों की छुट्टी और कुछ मंत्रियों को संगठन में अहम जिम्मेदारी मिल सकती है। बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन भी इस पूरी प्रक्रिया में मुख्य फैक्टर माना जा रहा है।
जातीय संतुलन में भी बदलाव के संकेत
वर्तमान मंत्रिमंडल का गठन लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया गया था। इसमें 12 मंत्री OBC, 5 SC, 5 ST है।
बिहार चुनाव के बाद और 2028 की तैयारियों को देखते हुए, सूत्रों का कहना है कि इस जातीय समीकरण में बदलाव लगभग तय है।
कौन आ सकता है, कौन जा सकता है?
राजनीतिक चर्चा के अनुसार पूर्व मंत्री रह चुके दो वरिष्ठ विधायकों की वापसी संभव है। कांग्रेस से बीजेपी में आए एक विधायक को मौक़ा मिल सकता है।
2 महिला विधायक भी रेस में हैं। प्रदर्शन में कमजोर पाए गए कम से कम तीन मंत्रियों की छुट्टी की चर्चा राजनीतिक गलियारें में तेज़ है।
बिहार चुनाव के बाद बीजेपी राष्ट्रीय नेतृत्व की रणनीति बदल रही है, और मध्यप्रदेश में इसका पहला असर कैबिनेट रीस्ट्रक्चरिंग के रूप में दिख सकता है। मोहन यादव सरकार आने वाले महीनों में एक नई टीम, नया संतुलन और नया राजनीतिक संकेत देने की तैयारी में है।


