रीवा।
श्याम शाह मेडिकल कॉलेज (SSMC), रीवा के मनोचिकित्सा विभाग की ओर से विश्व आत्महत्या निवारण दिवस पर मंगलवार को जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कॉलेज के डीन एवं सीईओ डॉ. सुनील अग्रवाल के मार्गदर्शन में हुए इस आयोजन का उद्देश्य आत्महत्या जैसे गंभीर विषय पर संवाद स्थापित कर समाज में संवेदनशीलता और जागरूकता बढ़ाना रहा।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. निमिषा मिश्रा ने कहा कि अवसाद, चिंता, अकेलापन, बेरोजगारी, आर्थिक समस्याएं और रिश्तों में तनाव आत्महत्या के प्रमुख कारण हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि आत्महत्या जीवन का सबसे दुखद निर्णय है, लेकिन इसे रोका जा सकता है। समाज में संवाद, भावनात्मक जुड़ाव और समय पर उपचार पर उन्होंने विशेष बल दिया।
एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुनील कुमार आहुजा ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि हर वर्ष विश्वभर में करीब 8 लाख लोग आत्महत्या करते हैं। भारत में यह समस्या और गंभीर है क्योंकि यहां युवाओं और महिलाओं में आत्महत्या के मामले अधिक सामने आते हैं। उन्होंने शैक्षणिक दबाव और पारिवारिक तनाव को अहम कारण बताया।
सीनियर रेज़िडेंट डॉ. सौरभ तिवारी ने कहा कि कई मरीज आत्महत्या का प्रयास करने के बाद उपचार हेतु अस्पताल आते हैं और लगातार काउंसलिंग व सहयोग से सामान्य जीवन जीने लगते हैं। वहीं क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट दिवाकर सिंह सिकरवार ने संवाद की कमी को सबसे बड़ा खतरा बताया और परिवार व शिक्षकों की जिम्मेदारी पर जोर दिया।
कार्यक्रम के दौरान आत्महत्या रोकथाम के लिए पाँच प्रमुख उपाय सुझाए गए।
- मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाना।
- जागरूकता अभियान चलाना परिवार और मित्रों के व्यवहार पर ध्यान देना।
- भावनात्मक सहारा व परामर्श उपलब्ध कराना।
- शैक्षणिक संस्थानों में नियमित मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन सुनिश्चित करना
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पीजी छात्र, एमबीबीएस विद्यार्थी और मानसिक रोग विभाग के चिकित्सक उपस्थित रहे। विशेषज्ञों ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देकर और संवाद को बढ़ावा देकर आत्महत्या की घटनाओं को काफी हद तक रोका जा सकता है।


