रीवा।
रीवा किला अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक पहचान के लिए प्रसिद्ध है। यहां स्थित प्राचीन उत्तरमुखी गणेश मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है बल्कि रीवा की गौरवशाली धरोहर भी माना जाता है। इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और आरती होती है, जिसमें शहर और आसपास से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मान्यता है कि यहां दर्शन करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और कष्ट दूर होते हैं।
आदमकद प्रतिमा का इतिहास

कल्चुरीकालीन काल की यह गणेश प्रतिमा लगभग 9 फीट ऊंची और साढ़े 4 फीट चौड़ी है। तत्कालीन महाराज गुलाब सिंह इसे गोरगी से लेकर आए थे। लंबे समय तक प्रतिमा किले के आंगन में स्थापित रही। बाद में मंदिर का निर्माण कर इसे विधिवत स्थापित किया गया। आज भी यह प्रतिमा भक्तों के लिए आस्था और श्रद्धा का बड़ा केंद्र है।
उत्तरमुखी गणेश का महत्व
सामान्यत: गणेश प्रतिमाएं पूर्व या दक्षिणमुखी होती हैं, लेकिन किले की यह प्रतिमा उत्तरमुखी है। शास्त्रों के अनुसार उत्तर दिशा को समृद्धि और शांति की दिशा माना गया है। मान्यता है कि यहां दर्शन करने से जीवन में आर्थिक स्थिरता और पारिवारिक सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
गणेश पूजा का महत्व
गणेश जी को विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता कहा गया है। हिंदू परंपरा में हर शुभ कार्य की शुरुआत गणेश पूजा से होती है। मान्यता है कि गणेश पूजा से
कष्ट और बाधाएं दूर होती हैं।
बुद्धि और विद्या की प्राप्ति होती है।
परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
इसी कारण गणेश उत्सव धार्मिक पर्व के साथ आस्था और संस्कृति का भी संगम माना जाता है।


