ड्राइविंग के दौरान मोबाइल पर बातचीत से हर दिन बढ़ रहे हादसों के आंकड़ें; रीवा-मऊगंज में 2024 में 589 मौतें, 58% दोपहिया वाहन चालक
भोपाल
सड़कों पर एक खतरनाक ट्रेंड तेजी से अपनी पकड़ बना रहा है – ड्राइविंग के दौरान मोबाइल का उपयोग। चाहे दोपहिया हो या चार पहिया, ट्रक हो या बस, चालक गाड़ी तो चलाते हैं लेकिन उनका पूरा ध्यान मोबाइल पर होता है। यह लापरवाही अब जानलेवा साबित हो रही है। एक्सपर्ट इसे मल्टीटास्किंग नहीं, बल्कि “सेल्फ-किलिंग” यानी आत्महत्या का एक रूप बता रहे हैं।
वर्ष 2024 में रीवा और मऊगंज जिलों में सड़क दुर्घटनाओं में कुल 589 मौतें हुईं, जिनमें से अधिकांश दोपहिया वाहन सवार थे। यह आंकड़ा बताता है कि अगर समय रहते इस लापरवाही पर लगाम लगाई जाए तो कई जानें बचाई जा सकती हैं।
लापरवाही का आम दृश्य
आजकल सड़कों पर ऐसे दृश्य आम हो गए हैं, जहां लोग ड्राइविंग के दौरान मोबाइल पर लंबी बातें करते हैं, कॉल अटेंड करते हैं या व्हाट्सएप मैसेज पढ़ते हैं। एक हाथ स्टेयरिंग पर होता है और दूसरा मोबाइल पर, जबकि ध्यान कहीं और होता है। भारी वाहनों के चालक भी अपनी जिम्मेदारी को नहीं समझ रहे हैं।
जनता लापरवाह, प्रशासन मौन
यह समस्या केवल जनता की लापरवाही तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रशासन की चुप्पी भी इसे बढ़ावा दे रही है। ट्रैफिक पुलिस की कार्रवाई नाममात्र की है। न कोई प्रभावी चेकिंग अभियान, न सख्ती से चालान और न ही कोई जनजागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके अलावा, स्वचालित चालान प्रणाली (Automatic Challan System) का अभाव भी इस लापरवाही को रोकने में एक बड़ी बाधा है।
एक्सपर्ट की राय यह फाल्स कॉन्फिडेंस है।
रीवा मेडिकल कॉलेज के न्यूरो सर्जन डॉ. सोनपाल जिंदल ने बताया

अस्पताल में हर महीने सिर में गंभीर चोट वाले लोग आते हैं। इनमें से अधिकतर वे होते हैं जो दोपहिया वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करते हुए दुर्घटनाग्रस्त हुए होते हैं। वे हेलमेट भी नहीं पहने होते और कई बार नशे में भी होते हैं। ऐसे मरीजों को बचाना बेहद मुश्किल होता है।
मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. धीरेंद्र मिश्रा ने कहा

आज की पीढ़ी में एक तरह का फाल्स कॉन्फिडेंस (झूठा आत्मविश्वास) है। उन्हें लगता है कि वे गाड़ी भी चला सकते हैं और कॉल भी अटेंड कर सकते हैं। यह आत्मविश्वास जब असलियत से टकराता है, तब एक्सीडेंट होता है। कई मामलों में हमने देखा है कि मोबाइल पर झगड़े या भावनात्मक बातचीत करते हुए ध्यान भटक गया और दुर्घटना हो गई।
ट्रैफिक पुलिस की जिम्मेदारी
प्रभारी डीएसपी यातायात पुलिस हेमाली पाठक ने बताया

वाहन चलाते समय मोबाइल का उपयोग करना गैरकानूनी और खतरनाक है। सड़क सुरक्षा अधिनियम के तहत यह एक दंडनीय अपराध है। हालांकि, जागरूकता और सख्ती की कमी के चलते लोग इसे हल्के में लेते हैं। पुलिस मुख्यालय से इस पर कड़ी कार्रवाई के आदेश हैं और यातायात पुलिस कार्रवाई कर रही है।
सुझाव, कैसे रोका जाए यह सेल्फ-किलिंग
सख्त चेकिंग – हर चौराहे पर मोबाइल-ड्राइविंग की चेकिंग की जाए।
तत्काल चालान – मोबाइल पर बात करते पकड़े जाने पर तत्काल चालान काटा जाए।
टेक्नोलॉजी का उपयोग – स्वचालित नंबर प्लेट रीडर (Automatic Number Plate Reader) और CCTV कैमरों से निगरानी बढ़ाई जाए।
हेलमेट अनिवार्यता – दोपहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट चेकिंग में सख्ती बरती जाए।
जनजागरूकता – सड़क सुरक्षा को लेकर बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
जनता के लिए अपील
अगर मोबाइल पर बात करना जरूरी हो तो वाहन को सड़क किनारे रोककर ही बात करें।
ड्राइविंग के दौरान मोबाइल को साइलेंट मोड पर रखें।
दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट जरूर पहनें।
यात्री बसों में ड्राइवर को फोन पर बात न करने दें, इसका विरोध करें।
दुर्घटना के चौंकाने वाले आंकड़े
वर्ष 2024 में रीवा-मऊगंज की सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा
कुल सड़क हादसे: 1132
कुल मौतें: 589
दोपहिया चालकों की मौतें: 340 (करीब 58%)
यह आंकड़े इस बात का सबूत हैं कि मोबाइल फोन का बेपरवाह उपयोग किस तरह सड़क पर मौत को दावत दे रहा है।


