बचपन की सवारी ने बदली चाल,बच्चों में बढ़ा इलेक्ट्रिक कार,बाइक का क्रेज
भोपाल।
पहले बचपन में बच्चों की सवारी मांता पिता होते थे। वे हांथी घोड़ा खुद बनकर बच्चों का मन बहलाते थे। लेकिन अब बचपन की सवारी की चाल बदल चुकी है। आजकल शहर की गलियों कॉलोनियों और घरों की बालकनी में एक अलग ही रफ्तार देखी जा सकती है। यह रफ्तार है छोटे बच्चों के डिजिटल बचपन की है जिसमें अब खिलौनों की जगह छोटी- छोटी इलेक्ट्रिक कार, बाइक, जीप और साइकिल ने ले ली है। पहले जहां बच्चे प्लास्टिक की साइकिल या बैट से खेला करते थे वहीं अब पांच से दस हजार तक के इलेक्ट्रिक वाहन उनके बचपन की पहली पसंद बन चुके हैं।

बाजार में इन वाहनों की इतनी मांग है कि दुकानदार एडवांस बुकिंग पर ऑर्डर ले रहे हैं। 3 से 8 साल तक के बच्चों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन की गई ये इलेक्ट्रिक कार रिमोट कंट्रोल और मैनुअल मोड दोनों में चलती हैं। खास बात यह है कि माता पिता भी इस चलन को प्रोत्साहित कर रहे हैं और बच्चों की पसंद को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।
दुकानदार बोले हर दिन बढ़ रही मांग
खिलौना दुकानों पर पूछने पर पता चला कि इलेक्ट्रिक वाहनों की डेली डिमांड तेजी से बढ़ रही है। कुछ दुकानदारों ने बताया कि हर महीने 30 से 40 गाड़ियाँ बिक रही हैं। कुछ माता पिता जन्मदिन, त्योहार या खास मौकों पर इन वाहनों को गिफ्ट कर रहे हैं।
रेट रेंज और स्टाइल भी बच्चों की पसंद पर
बाजार में 5000 से लेकर 15000 रुपये तक की इलेक्ट्रिक कारें और बाइक उपलब्ध हैं। इनमें फुल चार्ज पर एक से डेढ़ घंटे की बैटरी रेंज होती है। इनमें हेडलाइट हॉर्न म्यूजिक सिस्टम सीट बेल्ट जैसी खूबियां भी हैं।
बच्चों को मिला नया एडवेंचर, माता पिता को संतोष
एक माता पिता ने बताया बेटा 5 साल का है बाहर बाइक चलाते वक्त उसके चेहरे की खुशी देखते ही बनती है। हम रोज़ शाम 15 से 20 मिनट उसे कॉलोनी में चलाने देते हैं।
सुरक्षा का रखें ध्यान
हालांकि इस बढ़ते ट्रेंड के साथ एक चिंता भी उभरती है सुरक्षा की। विशेषज्ञों की राय है कि बच्चों को सुरक्षित सीमित स्थान पर इन वाहनों का इस्तेमाल करने दें और हमेशा माता पिता की निगरानी में रखें।


