रीवा/जबलपुर | 20 सितंबर 2025
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में आज इतिहास रचते हुए छुट्टी के दिन एक साथ 10 खंडपीठों (बेंचों) का गठन किया गया है, जो शनिवार को सुबह 10:30 बजे से लंबित जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करेंगी। प्रत्येक कोर्ट के समक्ष कम से कम 100 याचिकाएं रखी गई हैं, जिससे उम्मीद की जा रही है कि एक ही दिन में 1000 से अधिक मामलों का निपटारा हो सकता है।
बार एसोसिएशन की पहल रंग लाई
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डी.के. जैन और सचिव परितोष त्रिवेदी ने बीते सप्ताह मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा से मुलाकात कर लंबित मामलों पर चिंता जताई थी। उन्होंने विशेष सुनवाई के लिए कदम उठाने का आग्रह किया था। इस पर संज्ञान लेते हुए चीफ जस्टिस ने अभूतपूर्व निर्णय लिया कि न्यायिक अवकाश के दिन भी कोर्ट की विशेष बेंचें गठित की जाएं।
लंबित मामलों पर तेजी से काम
हाईकोर्ट में अभी भी 3000 से अधिक जमानत याचिकाएं लंबित हैं। कोर्ट प्रशासन को उम्मीद है कि आज की इस विशेष पहल से एक तिहाई मामलों का निपटारा संभव होगा। इससे न्याय प्रक्रिया में तेज़ी आएगी और जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों को जल्द राहत मिल सकेगी।
“यह न्याय में देरी नहीं, न्याय सुनिश्चित करने का प्रयास है”- परितोष त्रिवेदी
बार एसोसिएशन के सचिव परितोष त्रिवेदी ने बताया,
“हमारा प्रयास है कि न्याय केवल प्रक्रिया न रहे, बल्कि समय पर मिले। जब कोई आरोपी दो-तीन महीने बाद जेल से छूटता है, तब वह न्याय अधूरा होता है। यह पहली बार है जब छुट्टी के दिन 10 बेंच एक साथ बैठेंगी।”
बुधवार से बढ़ाई गई थी रेगुलर बेंच
तेजी से बढ़ती याचिकाओं को देखते हुए 17 सितंबर से नियमित तौर पर एक और बेंच जोड़ी गई है। अब सप्ताह के सामान्य कार्यदिवसों में कुल 4 बेंचें जमानत याचिकाओं की सुनवाई करती हैं। इस पहल के बाद अब वीकेंड पर भी न्यायिक कार्य संभव हो पाएगा।
छुट्टियों के बीच न्यायिक गति बनाए रखने की चुनौती
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अनुसार, 31 दिसंबर तक 50 से अधिक छुट्टियां निर्धारित हैं। दशहरा, दीपावली और अन्य त्योहारों के कारण कार्यदिवस सीमित होंगे। ऐसे में यह विशेष बेंचें न्यायिक व्यवस्था की गतिशीलता बनाए रखने में मदद करेंगी।
लोक अदालतें और मीडिएशन केंद्र भी सक्रिय
हाल के वर्षों में लोक अदालतों और मीडिएशन केंद्रों के माध्यम से भी विवादों का तेजी से समाधान हुआ है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि मौजूदा केस लोड के अनुपात में यह प्रयास अभी पर्याप्त नहीं हैं।
न्यायिक पदों पर नियुक्ति की मांग
बार एसोसिएशन और विधि विशेषज्ञों ने राज्य सरकार और उच्च न्यायालय से बचे हुए 12 स्वीकृत न्यायाधीश पदों पर शीघ्र नियुक्ति की मांग की है। इससे न केवल अदालतों पर कार्यभार कम होगा, बल्कि आम जनता को समय पर न्याय मिल सकेगा।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का यह कदम न्यायिक व्यवस्था में लचीलापन और सक्रियता लाने की दिशा में एक बड़ी पहल माना जा रहा है। यदि ऐसी सुनवाइयों की परंपरा बनी रही, तो राज्य में न्याय मिलने की प्रक्रिया और अधिक प्रभावी, त्वरित और भरोसेमंद हो सकती है।


