MP की सियासत में बदलाव की आहट! मंत्रीमंडल और संगठन में हो सकती है बड़ी सर्जरी
रीवा/भोपाल
मध्यप्रदेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। बीते कुछ दिनों में हुई मुख्यमंत्री मोहन यादव, कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा की दिल्ली में हुई मुलाकातों ने सियासी गलियारों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि राज्य में मंत्रीमंडल और संगठन के स्तर पर बड़ा फेरबदल हो सकता है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री मोहन यादव की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से हालिया मुलाकात औपचारिक नहीं थी। इसी दौरान बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय की भी शाह से अलग से चर्चा हुई। वहीं, पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा की भी दिल्ली सक्रियता ने अटकलों को हवा दी है कि उन्हें प्रदेश भाजपा संगठन में कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
अंदरूनी समीकरणों में संतुलन तलाश रही पार्टी
प्रदेश भाजपा में लंबे समय से कई नेता खुले तौर पर संगठनात्मक बदलाव की मांग कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि पार्टी नेतृत्व अब क्षेत्रीय, जातीय और कार्यकर्ताओं के बीच स्वीकार्य चेहरों को प्राथमिकता देने की योजना बना रहा है।

हालांकि मुख्यमंत्री मोहन यादव सरकार को अभी दो वर्ष भी पूरा नहीं हुआ है, फिर भी पार्टी में ऐसा माना जा रहा है कि कुछ मंत्रियों के प्रदर्शन की समीक्षा के बाद सीमित फेरबदल किया जा सकता है। साथ ही बोर्ड व निगमों में नियुक्तियों को लेकर भी निर्णय शीघ्र हो सकता है।
हालांकि पार्टी की ओर से आधिकारिक रूप से कोई बयान नहीं आया है, लेकिन हाईकमान से जुड़े विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि संगठन को 2028 की तैयारी के लिहाज़ से अभी से दुरुस्त किया जा रहा है।
जनसंघर्ष से चुनावी संतुलन तक
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह सारी गतिविधियां केवल चेहरों का बदलाव नहीं हैं, बल्कि यह बीजेपी की एक दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह न केवल सरकार को चुस्त-दुरुस्त बनाना चाहती है, बल्कि संगठन को भी नए नेतृत्व और ऊर्जा से भरने की योजना पर काम कर रही है।
इस रणनीति में नई पीढ़ी के नेताओं को आगे लाना, जातीय संतुलन साधना, और जनसंपर्क की धार को तेज करना प्राथमिकता में है।
सूत्रों के हवाले से संभावनाएं

दो से चार मंत्रियों के विभाग बदले जा सकते हैं या कुछ नए चेहरे जोड़े जा सकते हैं। बोर्ड-निगमों में नियुक्तियों का नया दौर शुरू हो सकता है।


