रीवा।
रीवा शहर की ट्रैफिक व्यवस्था दिनोंदिन बदहाल होती जा रही है, और इसका बड़ा कारण बन रहे हैं शहर की सड़कों पर बेतरतीब दौड़ते ई-रिक्शा। कम खर्च और ज्यादा मुनाफे के लालच में ई-रिक्शा चालकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन प्रशासन की अनदेखी और नियमों की धज्जियां उड़ने के चलते अब ये वाहन खुद एक बड़ी समस्या बन गए हैं।
रात में बिना लाइट दौड़ते ई-रिक्शा, हर वक्त बनी रहती है दुर्घटना की आशंका
रात के समय अगर आप शहर की किसी सड़क पर कुछ देर खड़े रह जाएं तो आप देख सकते हैं कि ज्यादातर ई-रिक्शा बिना हेडलाइट के ही दौड़ रहे हैं। इन चालकों का कहना है कि हेडलाइट जलाने से बैटरी जल्दी खत्म हो जाती है, जिससे वाहन की दूरी कम हो जाती है। लेकिन सवाल यह है कि क्या कुछ किलोमीटर ज्यादा चलाने के लिए लोगों की जान जोखिम में डालना जायज़ है?
400 से ज्यादा ई-रिक्शा बिना नंबर और रजिस्ट्रेशन के दौड़ रहे सड़कों पर
परिवहन विभाग की मानें तो रीवा में करीब 1500 ई-रिक्शा पंजीकृत हैं, लेकिन हकीकत यह है कि सड़कों पर 1900 से ज्यादा ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं, जिनमें करीब 400 ऐसे हैं जिनका कोई रजिस्ट्रेशन ही नहीं है। इनमें से कई तो एजेंसी से निकलते ही बिना किसी अनुमति और फिटनेस जांच के सीधा सड़कों पर उतर आते हैं।
न कोई तय रूट, न कोई स्टॉप — हर सड़क, हर मोड़ पर इनका कब्जा
ई-रिक्शा की सबसे बड़ी समस्या यह है कि इनका कोई निर्धारित मार्ग नहीं है। ये वाहन जहां मन किया, वहीं घुस जाते हैं — चाहे वह अस्पताल का परिसर हो, रेलवे स्टेशन का गेट हो या फिर कोई भीड़भाड़ वाला बाजार।

सिरमौर चौक, अस्पताल चौराहा, और नया व पुराना बस स्टैंड जैसे स्थानों पर हालात सबसे ज्यादा गंभीर हो जाते हैं, जहां ई-रिक्शा की भरमार से ट्रैफिक पूरी तरह से ठप हो जाता है।
कम लागत, ज्यादा कमाई — यही है ई-रिक्शा की बेतहाशा बढ़ोतरी का कारण
एक बार चार्जिंग में 100 किलोमीटर चलने वाला ई-रिक्शा केवल 50-60 रुपये में चार्ज हो जाता है, और चालक इससे रोजाना 800 से 1000 रुपये तक की कमाई कर लेते हैं। यही कारण है कि आसपास के ग्रामीण इलाकों से भी बड़ी संख्या में लोग ई-रिक्शा लेकर शहर का रुख कर रहे हैं।
प्रशासन के लिए जरूरी हैं ये कदम:
- फिक्स रूट और स्टॉप तय किए जाएं।
- मुख्य सड़कों पर ई-रिक्शा संचालन पर प्रतिबंध लगे।
- सभी ई-रिक्शा का पंजीकरण, फिटनेस सर्टिफिकेट और चालक का लाइसेंस अनिवार्य किया जाए।
- रात में हेडलाइट जलाना अनिवार्य हो और उल्लंघन पर भारी जुर्माना लगे।
- शहर में ई-रिक्शा की संख्या सीमित की जाए।
जनता त्रस्त, प्रशासन सुस्त
शहरवासियों का कहना है कि ई-रिक्शा एक ओर जहां सुविधाजनक हैं, वहीं उनकी मनमानी अब बर्दाश्त से बाहर होती जा रही है। सवाल यह है कि जब ये स्थिति सबके सामने है, तो जिम्मेदार विभाग कब जागेगा? क्या कोई बड़ा हादसा ही प्रशासन को जगाने के लिए जरूरी है?


