बीते अक्टूबर माह में ठेका लेने के बाद दस माह से नहीं किया अनुबंध ।
सीधी।
विंध्य क्षेत्र में रेत का कारोबार करने वाली सहकार ग्लोबल कंपनी के हाई-फाई प्रबंधन की वजह से राज्य शासन को अकेले सीधी जिले में अब तक लगभग 80 करोड़ रुपए रायल्टी का चूना लग चुका है। जिला खनिज विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बीते अक्टूबर 2024 में सहकार ग्लोबल कंपनी ने सीधी जिले की गोपद नदी में रेत का ठेका हासिल किया था। इसके पहले इस कंपनी ने विंध्य क्षेत्र के शहडोल और सिंगरौली जिले में रेत का ठेका हासिल कर अपना कारोबार शुरू कर दिया। तकरीबन दस माह का समय समाप्त हो रहा है पर अभी तक कंपनी द्वारा सीधी जिले में लिए गए रेत ठेका के एवज में मध्यप्रदेश राज्य खनिज निगम के साथ आवश्यक अनुबंध नहीं किया गया है।
विभागीय सूत्रों ने बताया कि सहकार ग्लोबल कंपनी द्वारा अनुबंध न किए जाने की वजह से हर माह शासन को रायल्टी के रुप में लगभग आठ करोड़ रुपए का चूना लग रहा है। इस तरह से हाई-फाई कंपनी के प्रबंधन द्वारा सरकारी खजाने को तकरीबन 80 करोड़ रुपए की चोंट पहुंचाई जा चुकी है। सीधी जिले में रेत का ठेका तीन साल के लिए लिया गया है, जब तक अनुबंध की प्रक्रिया सहकार ग्लोबल कंपनी द्वारा पूरी नहीं की जाती, तब तक लगातार रायल्टी का नुकसान शासन को बराबर झेलना पड़ेगा।
खनिज विभाग के जिम्मेदारों की मानें तो अनुबंध करने के लिए शासन स्तर से कई बार सहकार ग्लोबल कंपनी के साथ पत्राचार किया जा चुका है, इसके बाद भी सहकार ग्लोबल कंपनी प्रबंधन अपनी मनमानी करने से बाज नहीं आ रहा है। सूत्रों ने बताया कि सहकार ग्लोबल कंपनी का राजनैतिक नेटवर्क काफी मजबूत होने की वजह से जिले से लेकर शासन स्तर पर बैठने वाले आला अधिकारियों का बराबर संरक्षण मिल रहा है। सीधी जिले को लेकर कंपनी जानबूझकर अनुबंध नहीं करना चाहती है और वह गुपचुप तरीके से मुनाफा कमाते हुए चंद लोगों को मैनेज कर अपना कारोबार चला रही है।
महुआ गांव से जारी है रेत का अवैध परिवहन
सीधी – सिंगरौली जिले के सीमावर्ती गांव महुआ में बरसात के पहले ही सहकार ग्लोबल कंपनी द्वारा हजारों घन मीटर रेत को डंप कर लिया गया है। गोपद नदी में तेज पानी की आवक बनी रहने और शासन के आदेश के बाद खदानों में अवैध उत्खनन जरुर बंद कर दिया गया है। लेकिन रेत का अवैध परिवहन तेजी से सहकार ग्लोबल कंपनी द्वारा किया जा रहा है।

सूत्रों ने बताया कि सीधी जिले के लिए अनुबंध न करने के बाद भी कंपनी द्वारा सिंगरौली जिले की सीमा में मशीनों को खड़ा कर सीधी की बंफर रेत निकालने का कारनामा बारिश के पहले ही कर लिया गया था। सुनियोजित तरीके से महुआ गांव को रेत का डंपिंग यार्ड बनाया गया है और यहीं से प्रतिदिन एक सैकड़ा से अधिक रेत लोड हाईवा सीधी जिले की सड़कों से होते हुए रीवा, मऊगंज, सतना और उत्तर प्रदेश तक भेजे जा रहे हैं।
रेत का अवैध परिवहन होने से भी शासन को राजस्व का नुकसान हो रहा है। पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारियों को सहकार ग्लोबल कंपनी द्वारा बराबर मैनेज किया जाता है इसलिए एक दो ट्रैक्टर में ही अवैध परिवहन की कार्यवाही का दिखावा कभी कभार अवश्य किया जाता है, जबकि बड़ी तादाद में रेत लोड हाईवा मंजिल तक पहुंच जाते हैं।
इसलिए निरस्त नहीं हो रहा कंपनी का ठेका…
सूत्रों ने बताया कि सहकार ग्लोबल कंपनी के प्रबंधन सुनियोजित तरीके से सीधी जिले का ठेका लेने के कुछ समय बाद ही गोपद नदी में कम रेत होने का हवाला देते हुए हाईकोर्ट जबलपुर का दरवाजा खटखटाया। सूत्रों ने बताया कि न्यायालय में सुनवाई के दौरान सहकार ग्लोबल कंपनी को जोर का झटका लगा और उसे शासन के खाते में रायल्टी जमा करने का आदेश दिया गया।
खनिज विभाग के अधिकारियों की मानें तो हाईकोर्ट जबलपुर में फिलहाल केस चल रहा है, यही कारण है कि दस माह से सीधी जिले के ठेका को लेकर अनुबंध न करने के बाद भी सहकार ग्लोबल कंपनी का ठेका निरस्त करने की कार्यवाही शासन स्तर से नहीं हो पाई है। हाईकोर्ट में मामले का निराकरण हो जाए तो मध्य प्रदेश राज्य खनिज निगम सीधी जिले के मामले में आगे की कार्यवाही पर तत्काल संज्ञान लेना शुरू कर दे।
खनिज अधिकारी कपिल मुनि शुक्ला ने कहा की,
ठेका लेने के बाद भी सहकार ग्लोबल कंपनी द्वारा अनुबंध न किए जाने की वजह से हर माह शासन को रायल्टी का नुकसान हो रहा है। चूंकि ठेका कंपनी द्वारा हाईकोर्ट जबलपुर में केस लगाया गया है और उसका निराकरण नहीं हुआ है, इस वजह से कोई अग्रिम कार्रवाई नहीं हो रही है।


