भोपाल।
रीवा मऊगंज में जल जीवन मिशन बना भ्रष्टाचार का मिशन अफसर मलाई काट रहे जनता प्यास से मर रही। जल जीवन मिशन के तहत चलाई जा रही एकल नल जल योजना में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। 136 करोड़ पानी की तरह बहा दिए गए लेकिन न तो गांवों में पानी पहुंचा और न ही किसी अधिकारी पर कार्रवाई हुई। जनता के हिस्से में सूखा नल और झूठे वादे आए।
जमीनी हकीकत,न नल से पानी न जवाबदेही
रीवा और मऊगंज जिले में एकल नल जल योजना के अंतर्गत 811 योजनाएं संचालित की जा रही हैं। रीवा में सिविल . 284, मैकेनिकल 143, मऊगंज में सिविल .18,4 मैकेनिकल 200
लेकिन इनमें से अधिकांश अधूरी हैं या शुरू होते ही बंद हो गईं।
गांवों में न तो नियमित जलापूर्ति हो रही है और न ही मेंटेनेंस की कोई व्यवस्था है।
चार महीने पहले उजागर हुआ था 136 करोड़ का घोटाला
हाल ही में हुई समीक्षा में खुलासा हुआ कि डीपीआर तैयार करने में भारी विसंगतियां हैं। कुछ गांवों को शामिल ही नहीं किया गया। 3 करोड़ की अनियमितता केवल हैंडपंप मरम्मत में पाई गई। 1 करोड़ रुपए सिर्फ स्टेशनरी और फोटोकॉपी में खपा दिए गए।
मेंटेनेंस के नाम पर लाखों रुपए के बिल पास किए गए। मगर ज़मीनी काम शून्य है। फर्जी बिलों, बोगस सप्लायर और बिना टेंडर भुगतान जैसी अनियमितताएं दर्ज की गई हैं।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि
- जब घोटाले का आंकड़ा 136 करोड़ पार कर गयाए तो अब तक एक भी अधिकारी निलंबित क्यों नहीं हुआ।
- क्या इस मामले में ऊपर तक मिलीभगत है।
- जनता का पैसा डकारने वाले अफसर अब भी कुर्सी पर जमे क्यों हैं।
- शासन- प्रशासन की चुप्पी क्या इस घोटाले की अदृश्य स्वीकृति है।
- जनता पूछ रही है ये योजना थी पानी के लिए या घोटाले के लिए।
- नल में पानी नहीं, लेकिन कागजों में हर घर जल का दावा।
- योजनाएं अधूरी, टंकियां सूनी, पाईपलाइनें टूटी, और अधिकारी कह रहे हैं सब ठीक।
यह सीधे सीधे जनता के अधिकार और सरकारी धन की लूट है।


