रीवा।
प्रदेश सरकार द्वारा सड़कों पर घूमते निराश्रित गोवंश की समस्या को लेकर जो गंभीरता दिखाई गई थी, वह ज़मीनी हकीकत में नज़र नहीं आ रही है। मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के स्पष्ट निर्देश के बावजूद रीवा जिले में न तो गोवंश को गोशालाओं तक पहुंचाने का अभियान चलाया गया और न ही अतिरिक्त बाड़े बनाए गए। परिणामस्वरूप बरसात के इस मौसम में हजारों की संख्या में बेसहारा गोवंश सड़कों पर भटक रहे हैं, जिससे आमजन की सुरक्षा के साथ-साथ स्वयं पशुओं का जीवन भी खतरे में है।
आदेश हुए थे जारी, पर अमल नहीं
मुख्यमंत्री द्वारा जारी आदेशों के तहत जिला प्रशासन को यह सुनिश्चित करना था कि प्रमुख मार्गों पर एक भी निराश्रित गोवंश दिखाई न दे। इसके लिए रीवा जिले की कलेक्टर ने कार्य योजना भी तैयार की थी और जिले के चार प्रमुख मार्गों — चोरहटा से बनारस, मनगवां से प्रयागराज, रीवा से सेमरिया एवं रीवा से सिरमौर — को चिन्हित किया गया था। इन मार्गों पर अनुमानित 2500 निराश्रित गोवंश पाए गए थे।
योजना के अनुसार वर्षा ऋतु तक इन मार्गों को गोवंश मुक्त बनाया जाना था, लेकिन अब तक न तो कोई ठोस कार्रवाई हुई है और न ही कोई अभियान ज़मीनी स्तर पर नज़र आता है।
समिति बनी, काम नहीं
अनुविभागीय अधिकारी की अध्यक्षता में विकासखंड स्तर पर समितियाँ बनाई गई थीं, जिन्हें इन पशुओं को चिन्हित कर निकटतम गोशालाओं तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई थी। साथ ही, टोल नाकों से उपलब्ध वाहनों के माध्यम से गोवंश को शिफ्ट करने की व्यवस्था की जानी थी। पशु चिकित्सा विभाग को घायल और बीमार गोवंश के इलाज की जिम्मेदारी दी गई थी।
लेकिन आज की स्थिति यह है कि न समितियाँ सक्रिय हैं, न कोई वाहन व्यवस्था दिखाई देती है, और न ही पशु चिकित्सा विभाग की कोई उपस्थिति महसूस होती है।
दंड का भी कोई असर नहीं
आदेश में यह स्पष्ट रूप से कहा गया था कि यदि कोई व्यक्ति निराश्रित पशु को सड़कों पर छोड़ता है तो उससे ₹1000 प्रति पशु का जुर्माना वसूला जाएगा और आवश्यकतानुसार कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। पंचायतों को इस आशय का प्रस्ताव जारी कर व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन यह पहल भी सिर्फ कागजों तक सीमित रह गई।
समन्वय अधिकारी की भूमिका भी सवालों के घेरे में
उपसंचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं को इस अभियान का समन्वय अधिकारी नियुक्त किया गया था, पर अब तक उनकी ओर से किसी ठोस कार्रवाई या रिपोर्टिंग की जानकारी सामने नहीं आई है।
सड़क पर बैठे मौत को दावत
बरसात के दिनों में गोवंश सूखी जगह की तलाश में अक्सर सड़कों पर आ जाते हैं। वाहन चालकों के लिए यह गंभीर दुर्घटनाओं का कारण बनता है। हाल ही में रीवा सहित कई जिलों में गोवंश से टकराकर हुई दुर्घटनाओं की खबरें भी सामने आई हैं।
सवाल यही है — कब जागेगा प्रशासन?
मुख्यमंत्री स्तर से निर्देशित इस योजना की विफलता ने प्रशासनिक लापरवाही को उजागर कर दिया है। सवाल उठता है कि जब शीर्ष स्तर से जारी आदेशों पर ही ज़मीनी अमल नहीं हो रहा, तो आम जन और पशुओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा।


