एक नेक पहल रीवा में पुलिस चौकी बनी नशामुक्ति केंद्र
रीवा।
जहाँ एक ओर पुलिस चौकियाँ अक्सर कानून-व्यवस्था का केंद्र मानी जाती हैं, वहीं रीवा की सिरमौर चौक स्थित पुरानी पुलिस चौकी ने एक नई मिसाल पेश की है। यह चौकी अब निशुल्क नशामुक्ति परामर्श केंद्र बन गई है, जो नशे की लत में फँसे युवाओं के लिए उम्मीद की एक नई किरण लेकर आई है।
पुलिस के इस अनोखे और सराहनीय प्रयास को 41 समाजसेवी संगठनों का भी भरपूर समर्थन मिल रहा है। इन संगठनों के सदस्य रोज़ाना शाम 5 से 6 बजे तक केंद्र पर मौजूद रहते हैं, जहाँ वे नशेड़ियों को न सिर्फ परामर्श देते हैं, बल्कि उन्हें मुफ्त दवाइयाँ भी उपलब्ध कराते हैं।
बदलाव की कहानी, युवाओं की जुबानी
इस नेक पहल का असर दिखना शुरू हो गया है। अब तक 10 से अधिक युवा इस केंद्र से जुड़ चुके हैं और नशा छोड़कर एक नई ज़िंदगी की शुरुआत कर रहे हैं।
रमेश साकेत, अमहिया निवासी
मैं सालों से गांजा, शराब और कोरेक्स का आदी था, जिससे परिवार बहुत परेशान था। जब मैं इस केंद्र पर आया, तो मुझे लगा कि कोई मेरी बात सुनने वाला भी है। समाजसेवियों के मार्गदर्शन और मदद से आज 15 दिन हो गए हैं, मैंने कोई नशा नहीं किया। अब मेरे माता-पिता की आँखों में सुकून है और मैं खुद दूसरों को नशा छोड़ने की सलाह दे रहा हूँ।
आकाश सिंह, नेहरूनगर रीवा
पहले मैं रोज़ाना शराब और तंबाकू का सेवन करता था, जिससे मेरी ज़िंदगी अंधकार में जा रही थी। इस केंद्र में आकर मुझे महसूस हुआ कि यहाँ कोई मुझे समझने वाला है। डॉक्टरों और समाजसेवियों की मदद से अब मैं पूरी तरह नशामुक्त हूँ और दूसरों को भी प्रेरित कर रहा हूँ।
पुलिस और समाजसेवियों की साझा कोशिश
इस केंद्र की सफलता में समाजसेवी देवेंद्र द्विवेदी, डॉ. विकास श्रीवास्तव, और कई अन्य कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका रही है। पुलिस प्रशासन की यह पहल साबित करती है कि जब तंत्र और समाज एक साथ मिलकर काम करते हैं, तो किसी भी सामाजिक बुराई को खत्म किया जा सकता है।
रीवा CSP राजीव पाठक ने कहा, यह प्रयास न केवल नशे की गिरफ्त में आए युवाओं को नई राह दिखा रहा है, बल्कि समाज को यह भी संदेश दे रहा है कि बदलाव मुमकिन है।
वहीं, समाजसेवी डॉ. विकास श्रीवास्तव ने अपनी भावनाएँ व्यक्त करते हुए कहा कि एक चिकित्सक होने के नाते युवाओं को नशे से बचाना उनकी पहले से ही चाहत थी। उन्होंने पुलिस की इस मुहिम में शामिल होकर युवाओं को प्रेरित करने के साथ-साथ मुफ्त दवाइयाँ भी दी हैं, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।
देवेंद्र द्विवेदी ने इसे समाज के लिए एक बड़ी चुनौती बताते हुए कहा, समाजसेवा के क्षेत्र में युवाओं को नशे से बचाना एक बड़ा काम है, और इस केंद्र में कई संगठन मिलकर इस चुनौती का सामना कर रहे हैं।
यह पहल रीवा को नशे से आजादी की राह पर ले जाने वाला एक मजबूत कदम है।


