9 महीने में 18 कार्रवाई क्या अब भी डर बाकी है?
कब जागेगा सिस्टम, कब थमेगा भ्रष्टाचार का बहाव?
रीवा।
रीवा संभाग में लोकायुक्त की एक के बाद एक ट्रैप कार्रवाई के बावजूद भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लग रही है।
9 महीनों में 18 ट्रैप, यानी हर महीने दो—फिर भी सरकारी दफ्तरों में रिश्वत मांगने वालों के चेहरे पर शिकन तक नहीं।
सवाल सिर्फ यह नहीं है कि कार्रवाई हो रही है,
सवाल यह है कि फिर भी रिश्वतखोरी क्यों थम नहीं रही?
कड़वे आंकड़े:
- जनवरी 2025 से सितंबर 2025 तक 18 ट्रैप केस दर्ज।
- लगभग हर प्रमुख विभाग पर कार्रवाई।
- पंचायत, राजस्व, पुलिस, स्कूल शिक्षा, आदिम जाति कल्याण तक कोई अछूता नहीं।
- और ये वो मामले हैं जहां लोकायुक्त ने हाथोंहाथ पकड़ लिया।
- सोचिए, कितने मामले बिना पकड़े दब जाते होंगे…।
किसी विभाग में अघोषित टैक्स तो कहीं पेशी के नाम पर वसूली
हाल ही में रामपुर बघेलान तहसील के बाबू को 500 की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया।
उससे पहले शिक्षा विभाग में ट्रैप हुआ, उससे पहले पटवारी, फिर पंचायत सचिव…
लगभग हर दफ्तर में रिश्वत एक ‘अनिवार्य प्रक्रिया’ बन गई है।
भ्रष्टाचारियों को क्यों नहीं है कोई डर?
लोकायुक्त की टीम बिना रुके, बिना थके कार्रवाई कर रही है,
फिर भी भ्रष्ट अधिकारी बेखौफ हैं।
कारण?
निलंबन बाद बहाली की गारंटीकोर्ट में वर्षों तक केस लटकाने की सुविधा।
अफसरों की आपसी समझदारी
प्रशासन के लिए अब आत्ममंथन का वक्त
कागज़ पर सस्पेंशन से कुछ नहीं होगाजब तक रिश्वतखोरी को जेल की चारदीवारी में ना झोंका जाए।
रीवा में हालात ऐसे हैं कि जो रिश्वत नहीं मांगता, उसे भोला बाबू कहा जाता है।और जो मांगता है, वो काबिल और कहलाता है।
अब सिर्फ लोकायुक्त की जिम्मेदारी नहीं सिस्टम को खुद को साफ़ करना होगा।
हर कार्रवाई का असर तभी दिखेगा, जब सजा तुरंत और सख्त हो।
ट्रैप के बाद केवल निलंबन नहीं, सीधे गिरफ्तारी और केस ट्रायल होना चाहिए।
सरकार को चाहिए कि हर ट्रैप के बाद सार्वजनिक रूप से रिपोर्ट जारी करे, ताकि डर कायम हो।


