जिला – मऊगंज
मउगंज जिले में स्थित बहुती जलप्रपात को विकसित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा के बाद कलेक्टर ने ईको पर्यटन बोर्ड को पत्र लिखकर संपूर्ण विकास की योजना बनाने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद तेजी आई प्रक्रिया में

मुख्यमंत्री ने 14 दिसंबर 2024 को मउगंज प्रवास के दौरान सार्वजनिक सभा में बहुती जलप्रपात के विकास की घोषणा की थी। इस दौरान देवतालाब विधायक गिरीश गौतम ने इस जलप्रपात सहित अन्य विकास कार्यों की मांग रखी थी, जिसे मुख्यमंत्री ने पूरा करने का आश्वासन दिया था। अब कलेक्टर द्वारा संबंधित विभागों को पत्राचार कर कार्रवाई तेज कर दी गई है।
प्रदेश के सबसे गहरे जलप्रपातों में से एक

कलेक्टर के पत्र के अनुसार, बहुती जलप्रपात लगभग 600 फीट गहरा है और संभवतः प्रदेश के सबसे गहरे जलप्रपातों में से एक है। हालांकि, यह जलप्रपात केवल वर्षाकाल में जलधारा से युक्त रहता है और नवंबर के बाद इसमें पानी समाप्त हो जाता है। इसे सालभर सक्रिय बनाए रखने के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं।
जलप्रपात में पानी रोकने की योजना

बहुती जलप्रपात को सालभर जलधारा से युक्त रखने के लिए कलेक्टर ने जल संचयन और पंपिंग सिस्टम की योजना प्रस्तावित की है। योजना के अनुसार, जलप्रपात के नीचे के क्षेत्र में पानी रोकने की व्यवस्था की जाएगी और पंप के माध्यम से जल को पुनः ऊपर प्रवाहित किया जाएगा ताकि जलप्रपात सतत सक्रिय बना रहे।
हाइडल टरबाइन और सोलर प्लांट से होगी बिजली आपूर्ति
जलप्रपात के विकास कार्यों के लिए आवश्यक बिजली आपूर्ति हेतु कलेक्टर ने हाइडल टरबाइन लगाने या सोलर पैनल से ऊर्जा प्राप्त करने का सुझाव दिया है। मउगंज जिले के हनुमना तहसील में संचालित संगमम पावर प्रोजेक्ट (हैदराबाद) द्वारा 10 केवी का मिनी हाइडल पावर प्लांट पहले से कार्यरत है। इस कंपनी के तकनीकी दल ने बहुती जलप्रपात के लिए प्रारंभिक रिपोर्ट भी तैयार की है, जिसे आगे की प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा।
पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
बहुती जलप्रपात के संपूर्ण विकास से रीवा और मउगंज जिलों में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। वर्तमान में चचाई और क्योंटी जलप्रपातों में बारिश के मौसम में बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। बहुती जलप्रपात का उन्नयन होने से यह क्षेत्र भी एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन सकता है।
ईको पर्यटन बोर्ड द्वारा इस परियोजना को प्राथमिकता दी जा रही है और शीघ्र ही विकास कार्य प्रारंभ होने की संभावना है।


