ओवरलोड हाइवा दोपहर में दौड़ रहे शहर की सड़कों पर। बायपास नहीं, शहर के सम्राट चौक से गुजर रही है मौत की रफ्तार… प्रशासन बना मूकदर्शक।
सीधी।
सीधी जिले की गोपद नदी की रेत अब खुलेआम शहर के बीचों-बीच ओवरलोड हाइवा वाहनों में लदी हुई दौड़ रही है, और यह सब कुछ प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है। रेत का अवैध परिवहन सहकार ग्लोबल कंपनी द्वारा किया जा रहा है, और ये हाइवा वाहन शहर के सम्राट चौक, एसपी ऑफिस, पुलिस लाइन होते हुए भारी भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों से बेधड़क निकलते हैं।
आश्चर्यजनक रूप से यह सब उस वक्त हो रहा है जब जिले में बाजार क्षेत्र में भारी वाहनों की आवाजाही पर स्पष्ट प्रतिबंध है। लेकिन सहकार ग्लोबल कंपनी की कथित “साठगांठ” और “सिस्टम पर पकड़” के चलते यह अवैध व्यापार दिन-दोपहर फल-फूल रहा है।
जोगदहा पुल अधूरा, बायपास ठप – शहर बना खनन रूट
रेत परिवहन का अधिकृत मार्ग बहरी व टिकरी बायपास से होकर जाता है, लेकिन जोगदहा पुल का अब तक निर्माण न हो पाने की वजह से रेत से लदे वाहन शहर के बीचों-बीच से होकर निकल रहे हैं। यह मार्ग न सिर्फ अव्यवस्थित है, बल्कि दुर्घटना की संभावनाएं हर वक्त बनी रहती हैं।
छुपे तौर पर हो रहा अवैध उत्खनन, न्यायालय ने भी खींची लगाम
गोपद नदी के 18 घाटों पर खनन का टेंडर पाने वाली सहकार ग्लोबल कंपनी पर रॉयल्टी जमा न करने के गंभीर आरोप लगे। जब निरीक्षण दल ने रेत की कमी की रिपोर्ट दी, तब कंपनी उसका खंडन नहीं कर सकी। मामला हाईकोर्ट जबलपुर पहुंचा, जहां माननीय न्यायाधीशों ने एक सप्ताह में रॉयल्टी जमा करने के आदेश दिए। इसके बाद कंपनी ने राशि तो जमा कर दी, लेकिन खनिज विभाग को अब तक ठेका अनुबंध की पूरी जानकारी नहीं मिल सकी है।
फिलहाल कंपनी खुले तौर पर रेत का उत्खनन नहीं कर पा रही, लेकिन सिंगरौली पार की खदानों के टीपी का दुरुपयोग कर सीधी की रेत निकालने में सफल हो रही है।
टोल प्लाजा पर अवैध वसूली – शुल्क दर्शाने वाला बोर्ड ही काट दिया गया
सोनवर्षा स्थित टोल प्लाजा, जहां से ओवरलोड वाहनों को गुज़रना होता है, वहां की स्थिति भी बेहद चिंताजनक है। टोल प्लाजा का संचालन भी सहकार ग्लोबल कंपनी के पास है।

हैरान करने वाली बात यह है कि फीस दर्शाने वाले बोर्ड के शुल्क हिस्से को ही आरी से काटकर हटा दिया गया है, ताकि वाहन चालकों को यह जानकारी न मिल सके कि उनसे कितना शुल्क लिया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, अतिरिक्त शुल्क वसूली के साथ ही टोल प्लाजा के कर्मचारी मनमानी पर उतारू हैं और कभी भी वहां विभागीय निरीक्षण नहीं देखा गया।
टोल प्लाजा पर होती है रोज झूमाझटकी, ग्रामीणों से भी वसूला जा रहा शुल्क
टोल प्लाजा के नियम के अनुसार 20 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले ग्रामीणों से शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए, लेकिन ग्रामीणों के ट्रैक्टर और छोटे वाहनों से भी वसूली हो रही है। साथ ही, कई बार वाहनों की रसीदें देर से काटी जाती हैं, जिससे चालकों और कर्मियों के बीच विवाद की स्थिति बनी रहती है।
जानकारों का कहना है कि रेत से भरे ओवरलोड वाहन कभी-कभी सड़क की पटरियों से निकाले जाते हैं, जिससे उनकी एंट्री टोल रिकॉर्ड में नहीं होती। यह भी एक बड़ी जांच का विषय है।


