रीवा, मध्यप्रदेश।
सरकारी योजनाएं आम लोगों की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए होती हैं, लेकिन जब जिम्मेदार अफसर ही उन्हें बेचने लगें, तो सवाल उठते हैं – क्या अब ईमानदारी भी नीलाम होगी?

रीवा जिले के सिरमौर क्षेत्र में महिला एवं बाल विकास विभाग के एक परियोजना अधिकारी शेषनारायण मिश्रा को 50 हजार रुपये की रिश्वत मांगते हुए लोकायुक्त की जांच में पकड़ा गया है। यह रिश्वत आंगनवाड़ी सहायिका पद पर नियुक्ति के बदले मांगी जा रही थी।
पूरा मामला – पैसे दो, नौकरी लो!
- शिकायतकर्ता राहुल सेन ने लोकायुक्त को बताया कि उसकी पत्नी सोनम सेन का आंगनवाड़ी सहायिका पद पर चयन हो गया है।
- लेकिन नियुक्ति से पहले अधिकारी ने 50,000 की “फीस” मांगी – जी हां, रिश्वत।
- मामला 17 सितंबर 2025 को लोकायुक्त को सौंपा गया।
- जांच में आरोप सही पाए गए और फिर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत केस दर्ज हुआ।
- हालांकि ट्रैप कार्रवाई (पकड़ने की कोशिश) तकनीकी कारणों से असफल रही, लेकिन लोकायुक्त ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
न्याय की उम्मीद में डरी महिलाएं
रीवा, सिरमौर, मनगवां और आसपास के इलाकों में सैकड़ों महिलाएं ऐसी हैं जिनका नाम मेरिट में था, फिर भी नौकरी पाने के लिए पैसे देने पड़े। कहीं 50,000 तो कहीं डेढ़ लाख तक की डील हुई।
एक पीड़िता ने कहा:
“हम सोच रहे थे सरकार की योजना से हमें सम्मान मिलेगा… लेकिन यहां तो सम्मान भी बिक रहा है, और नौकरी भी।”
एक अफसर नहीं, एक सिस्टम बीमार है!
इस मामले ने पूरे विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं:
- क्या यह सिर्फ एक अधिकारी की करतूत है?
- या पूरा विभाग ही दलालों और भ्रष्टाचारियों के चंगुल में फंसा है?
- क्या अब हर सरकारी नौकरी ‘बिकेगी’?
इस समय तक कोई भी वरिष्ठ अधिकारी मीडिया या जनता के सामने नहीं आया है। चुप्पी इस बात का संकेत देती है कि मामला कहीं गहरे तक फैला हो सकता है।
‘आंगनवाड़ी’ या ‘रिश्वत मंडी’?
जिस विभाग को गरीबों की बच्चियों और महिलाओं के पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए बनाया गया था, अब वही विभाग गली-गली रिश्वत मांगने वालों का ठिकाना बन चुका है।
यह केवल शर्मनाक नहीं, बल्कि कानून और भरोसे की हत्या है।

अब जनता पूछ रही है…
- क्या अन्य दोषियों पर भी होगी कार्रवाई?
- जिनसे पैसे लिए गए, उन्हें न्याय मिलेगा?
- क्या ये मामला भी दबा दिया जाएगा, या सच्चाई सामने लाकर दोषियों को सज़ा दी जाएगी?
यह अंत नहीं, लड़ाई की शुरुआत है!
लोकायुक्त की यह कार्रवाई एक सड़ी हुई व्यवस्था की परत खोलने का पहला कदम है। अब ज़रूरत है कि:
- पूरे रीवा जिले के महिला एवं बाल विकास विभाग की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराई जाए।
- सभी दोषियों को बेनकाब कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।


