मूर्ति अनावरण की तैयारियों को झटका, निगम-पुलिस आमने-सामने।
रीवा, 11 सितंबर।
रीवा शहर के प्रतिष्ठित जननेता एवं मध्यप्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष स्व. पं. श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा स्थापना को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। बुधवार को पुलिस लाइन चौक के समीप ग्रीन स्पेस क्षेत्र में चल रहे चबूतरे के निर्माण कार्य को जिला पुलिस बल ने आपत्ति जताकर रोक दिया। पुलिस ने भूमि को अपने नियंत्रण की बताते हुए नगर निगम द्वारा किए जा रहे निर्माण पर आपत्ति दर्ज की है।
नगर निगम द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, उक्त भूमि पर श्रीनिवास तिवारी और विंध्य के पूर्व शासक स्व. महाराज मार्तंड सिंह जूदेव की प्रतिमाओं की स्थापना के लिए महापौर अजय मिश्रा बाबा की अध्यक्षता में हुई पहली “मेयर इन काउंसिल” और परिषद की बैठक में प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया था। इसके बाद 30 दिसंबर 2022 को टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई और 20 नवंबर 2023 को कार्यादेश जारी कर निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया।
दस दिन पहले शुरू हुआ था निर्माण कार्य
नगर निगम ने बताया कि प्रतिमा स्थापना के लिए चबूतरे का निर्माण 10 दिन पहले शुरू हुआ था। इसके पूर्व 25 अगस्त को नगर निगम आयुक्त और महापौर द्वारा कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को पत्र भेजकर एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) की मांग की गई थी। लेकिन तब किसी भी विभाग की ओर से कोई आपत्ति सामने नहीं आई। इसके बावजूद बुधवार को अचानक पुलिस बल ने निर्माण स्थल पर पहुंचकर कार्य रुकवा दिया।
मूर्ति बनकर तैयार, 17 सितंबर को अनावरण प्रस्तावित
स्व. श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा पूरी तरह तैयार हो चुकी है और उसका अनावरण आगामी 17 सितंबर को उनकी 100वीं जन्म जयंती पर होना प्रस्तावित है। लेकिन निर्माण कार्य में अड़चन के चलते नगर निगम की तैयारियों को झटका लगा है। महापौर अजय मिश्रा बाबा ने इस कार्रवाई पर नाराजगी जताते हुए कहा—
“जिस भूमि पर प्रतिमा स्थापित की जा रही है, वह मप्र शासन की है, और शासन की भूमि पर शहरी क्षेत्र में निर्माण का अधिकार नगर निगम को है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि 10 दिन तक निर्माण चलता रहा और अब अचानक पुलिस द्वारा काम रुकवाया गया।”
महापुरुषों की स्मृति में हो रही स्थापना
महापौर ने आगे कहा कि श्रीनिवास तिवारी और महाराज मार्तंड सिंह जूदेव ने अपना जीवन जनता और क्षेत्र के विकास को समर्पित किया था।
“विंध्य के युवाओं के लिए ये दोनों महापुरुष प्रेरणास्रोत हैं। उन्हें स्मरण में रखने और नई पीढ़ी को उनके योगदान से अवगत कराने के उद्देश्य से प्रतिमा लगाने का निर्णय लिया गया है।”
पुलिस प्रशासन का पक्ष नहीं आया सामने
इस पूरे घटनाक्रम पर जिला पुलिस बल का कोई आधिकारिक बयान अब तक सामने नहीं आया है।

नगर निगम प्रशासन अब पुलिस की आपत्ति की जांच कर आगे की कार्ययोजना तय करेगा।
राजनीतिक हलकों में हलचल
इस मामले के बाद नगर राजनीति में हलचल तेज हो गई है। प्रतिमा स्थल को लेकर नगर निगम और पुलिस प्रशासन के बीच टकराव की स्थिति बनती दिख रही है। अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या तय समय पर प्रतिमा का अनावरण हो पाएगा या फिर यह मुद्दा राजनीतिक और प्रशासनिक खींचतान की भेंट चढ़ जाएगा।


