पुजारी के हत्या के बाद रमागोविंद और पंचमंदिर से लाई गई थी मूर्तियां
रीवा मप्र।
दस साल पहले गोविदगढ़ के रमागोविंद और पंच मंदिर से अष्टधातु से बनी भगवान की मूर्तियों को लक्ष्मणबाग संस्थान में लाया गया था। वहां से लाने के बाद इन मूर्तियों को एक कोठरी मे कैद कर दिया गया। तब से वे भगवान उसी कमरे में बंद हैं जिनकी पूजा भी नहीं होती है।
वर्ष 2014 में गोविंदगढ के रमागोविंद मंदिर में रात को चोर घुसे और पुजारी बसंत पयासी की हत्या कर कुछ मूर्तियां चोरी कर ली। उन मूर्तियों का आज तक पता नहीं चला। रमागोविंद मंदिर के पास पंचमंदिर भी था। यहां पर राम का दरबार था जिसमें राम लक्ष्मण सीता हनुमान के अलावा अन्य मूर्तियां थीं। इन सभी मूर्तियों को सुरक्षा की दृष्टि से लक्ष्मणबाग लाया गया।

जिन्हे न तो दुबारा गोविंदगढ़ ले जाया गया न ही लक्ष्मणबाण में उनकी प्राण प्रतिष्ठा की गई। सभी अष्टधातु एवं अन्य धातुओं की मूर्तिया उसी कोठरी में बंद हैं।
हत्यारे आज तक नही पकड़े गए
रमागोविंद मंदिर लक्ष्मणबाग संस्थान का है। लक्ष्मणबाग संस्थान के मंदिरों में चोरी की घटनाएं कई बार हुई। लेकिन चोरियों का खुलासा नही हो पाया। रमागोविंद मंदिर के पुजारी के हत्यारे आज तक नही पकड़े गए। हत्या के बाद इस मंदिर की कुछ मूर्तियां सुरक्षा के हिसाब से रीवा के लक्ष्मणबाग संस्थान में रखवा दी गईं ताकि ये भी चोरी न हो जांय। इसके अलावा पंचमंदिर में स्थापित भगवान की मूर्तियां भी लक्ष्मणबाग लायी गईं। बताते हैं कि इन दोनों मंदिरों में राम दरबार और लक्ष्मीनारायण भगवान की अष्टधातु की बेशकीमती मूर्तियां थीं। इन मूर्तियों के जगन्नाथ मंदिर के बगल में बने एक कमरें के भीतर रखा गया है।
प्रशासक के हाथ व्यवस्था
लक्ष्मणबाग संस्थान के प्रशासक कलेक्टर हैं। कलेक्टर ने यहां पर अपने प्रतिनिधि के रूप में सीईओ की नियुक्ति कर रखी है। लेकिन सीईओ इतने व्यस्त रहते है कि इन्हे लक्ष्मणबाग की तरफ ध्यान देने का समय नही रहता। शायद सीईओं को पता भी न होगा कि एक कैमरे में भगवान बिना पूजा पाठ के रह रहे हैं। लक्ष्मणबाग का इतिहास बहुत पुराना है। वर्ष 1898 से इसके स्थापना का इतिहास बताया जाता है। यहां पर महंत का पूरा अधिकार होता था। वर्ष 2004 से महंत नही हैं तब से कलेक्टर इसके प्रशासक हैं।
महंत की आवश्यकता
वर्ष 2004 के पहले हरिवंशाचार्य महाराज लक्ष्मणबाग के महंत थे जो अब नही रहे महंत का पद खाली होने के कारण संस्थान की व्यवस्था बिगड़ रही है। कुछ दिन पहले महंत नियुक्त किए जाने को लेकर चर्चाएं भी शुरू हुईं लेकिन अब किसी तरह की कोई महंत को लेकर सुगबुगाहट नही हैैं। लक्ष्मणबाग के लेखाधिकारी शत्रुघ्न शुक्ल की मानें तो अष्टधातु की मूर्तियां गोविंदगढ से लाई गई थी यहां पर सुरक्षित रखी हुई हैं।


