पितृ पक्ष का महत्व पूर्वजों को श्रद्धा अर्पित करने का यही है वक्त
भोपाल
हिंदू संस्कृति में जीवन केवल शरीर तक सीमित नही होता। आत्मा की अमरता और पूर्वजों की प्रति श्रद्धा का भाव और इसकी गहराई को दर्शाता है। इसी भावना को साकार करने के लिए हर साल एक विशेष काल आता है। जिसे हम सब पितृ पक्ष कहते है। यह समय पूर्वजों की आत्मा के प्रति कृतज्ञता सम्मान और श्रद्धा प्रकट करने का होता है। मान्यता है कि इस काल में पितृलोक के द्वार खुलते हैं और पितरों की आत्माएं पृथ्वी पर आती हैं।
पितृ ऋण से मुक्ति
हिंदू शास्त्रों के अनुसार हर व्यक्ति तीन ऋणों के साथ जन्म लेता है, देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण। तर्पण और श्राद्ध करने से पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।
पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति
श्राद्ध तर्पण और पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति और संतोष मिलता है जिससे वे मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।
संतान और परिवार पर आशीर्वाद
तर्पण करने वाले को पितरों की कृपा से संतान सुख परिवार में समृद्धि और रोगों से मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
कुल के दोषों की शांति
यदि किसी कुल में पितृदोष है तो इस समय तर्पण करने से दोष की शांति होती है और जीवन में आ रही बाधाएँ दूर होती हैं।
पितृ पक्ष में क्या किया जाता है।
तर्पण- जल, तिल, कुश और जौ से पितरों को जल अर्पित करना।
श्राद्ध- भोजन बनाकर ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना।
पिंडदान- विशेष स्थानों पर ;जैसे गया, प्रयाग, हरिद्वार, जाकर पिंड अर्पण करना।
दान.पुण्य- ज़रूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, दान देना।
पितृ पक्ष में क्या न करें।
नए कार्य, शादी,,मुंडन,गृह प्रवेश आदि शुभ कार्यों से बचा जाता है।
मांसाहार, शराब, झूठ बोलना, अपशब्द कहना वर्जित माना जाता है।


